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हिंदी संवादघर
`घर मै माजी है ?`
`यहां माजी कोइ नही, बहेनजी हई` पत्नीचे फणका-यात उत्तर.
`बहेनजी, आप साबुन कौनसा इस्तेमाल करती हो?`
`मेरेकू ईंपोर्टेड पिअर्स पसंद है, लेकिन परवडता किसको है? ये कवडीचुंबक का घर है`
`तो आपका परिवार कौनसा साबुन इस्तेमाल करता है?`
`परीवार तो घरके मालिक जैसाही बेशरम है. तीन दिन से मै घसा खरवडके चिल्ला रही हुं के साबुन संपा है, लेकिन किसीको ढीम्म नही है. महागलीच्छ परीवार है. मेरे माहेरकू हर आदमी का वेगळा वेगळा साबुन था. एक दिन चुकीसे मेरी माँने टायगर का साबुन लिया तो भडक के मेरे पिताने पूरी साबुनकी वडी गिळी थी. उससे उनका आतडा स्वच्छ हुआ. इतने स्वच्छ परिवारसे मै इस गलिच्छ परिवार मे आ गयी क्यों के मेरा नशीब फ़ुटका था…`तीन दिनसे पहेले आप कौनसा साबुन इस्तेमाल करती थी?`
`ये कार्यक्रम करने बाहरगाव गये थे ना, वहां के हॉटेलसे चुराके लेके आये वही छोटी वडी इस्तेमाल करते थे. इनका की नाई नवस है के साबू विकत आणनेका नही, हॉटेलसे चोरनेका……..
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